बीएसपी के बारे में फर्जी बातें कर दलित एक्ट पर अपनी खामियां छिपा रही भाजपा: मायावती


लखनऊ। एससी-एसटी एक्ट को लेकर बहुजन समाज पार्टी के बारे में चल रही खबरों पर यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री ने बीजेपी को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की बसपा शासनकाल में जारी किए शासनादेशों से तुलना करना उचित नहीं है। बसपा शासन में पूरे पांच वर्ष दलित व आदिवासी वर्ग का उत्पीडऩ नहीं हुआ। बसपा को बदनाम करने के लिए मीडिया मे तथ्यों को तोड़मरोड़ कर प्रस्तुत किया जा रहा है।
भारत बंद के दौरान भारी हिंसा के बाद से गर्माए सियासी माहौल और बसपा को घेरने की कोशिशों का जवाब देने को मायावती ने गुरुवार को बयान जारी क सफाई दी। उन्होंने कहा कि भाजपा एससी-एसटी एक्ट मामले में अपनी खामियां छिपाने के लिए बसपा के खिलाफ दुष्प्रचार कर रही है। उन्होंने बसपा शासनकाल में एससी-एसटी एक्ट को कमजोर करने के आरोपों को सिरे से खारिज किया।
मायावती ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में जारी शासनादेशों पर सफाई देते हुए बताया कि गत 20 मई, 2007 को जारी शासनादेश में कानून व्यवस्था को दुरुस्त बनाने के लिए एससी-एसटी एक्ट में झूठे मुकदमों का सच जानने के लिए अविलम्ब सत्यता जांचने के बाद मुकदमा दर्ज कराने को कहा था। इस के बाद 29 अक्टूबर, 2007 को जारी किए आदेश में गंभीर मामलों में एसएसपी या एसपी रैंक के अधिकारी द्वारा स्वयं संज्ञान लेने को कहा गया। अनुसूचित वर्ग का अहित न होने पाए, इसकी प्रत्येक माह महानिदेशक स्तर पर निगरानी होती थी।
मायावती ने आरोप लगाया कि गत दो अप्रैल को भारत बंद के दौरान केवल भाजपा शासित राज्यों में हिंसा हुई, जबकि पूरे देश में शांतिपूर्ण प्रदर्शन किये गए थे। भाजपा व सहयोगी संगठनों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन को हिंसक बनाने के लिए सरकारी मशीनरी का प्रयोग भी किया।
