हिमाचल प्रदेश: दलित वोट न मिलने पर बौखलाए सवर्ण प्रत्यासी ने रोकी सड़क, डीसी के पास पहुंचे ग्रामीण

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के सदर विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाली ग्राम पंचायत पंडोह के दलित बाहुल्य गांव धड़ोल की सड़क का मामला एक बार फिर से डीसी मंडी दरबार में पंहुचा है। डीसी से मिलकर ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सवर्ण जाती के लोगो ने उनके गांव तक जाने वाली सड़क को बीच में ही रोक दिया है। जिस कारण ग्रामीणों को सड़क सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा है।
आपको बता दें कि ग्रामीणों ने इस मामले को राष्ट्रीय मानवधिकार आयोग के समक्ष भी उठाया था और डीसी मंडी को वहां पर जाकर जवाब देना पड़ा था, लेकिन बावजूद इसके अभी तक इस सड़क की समस्या का कोई स्थाई समाधान नहीं हो सका है। धड़ोल गांव से होकर जाने वाली सड़क तवाराफी से जरल तक बनाई गई है।
5 किलोमीटर लम्बी सड़क अपने दोनों छोरो से शुरू हो जाती है, लेकिन धड़ोल गांव तक नहीं पहुंच पाती। तवाराफी की तरफ से जो सड़क बनी है, वह खनिरली गांव के पास रोक दी गई है, जबकि जरल की तरफ से बनी सड़क सकारिणी गांव से आगे बढ़ गई है।
कुछ वर्ष पहले तक धड़ोल गांव के लोगो को सड़क सुविधा का पूरा लाभ मिलता रहा। लेकिन पंचायत चुनावों में इस गांव के लोगो ने सवर्ण जाति के उम्मीदवार का समर्थन न करके अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा। उसके बाद खनिराली गांव से आगे सड़क को रोक लिया गया।
प्रशासन इसलिए यहाँ पर कार्यवाही नहीं कर पा रहा, क्योंकि खनिरली गांव में लोगो ने मौखिक तौर पर सड़क के लिए अपनी निजी भूमि दी थी, जिस पर अब दोबारा कब्ज़ा कर लिया है। इसके लिखीत हलफनामे को विभाग ने नहीं लिए, जिस कारण यह समस्या आज उत्पन्न हुई है। वहीं दूसरी तरफ जरल से आने वाली सड़क बरसात में बह गई जिसकी मरम्मत में काफी पैसा और समय लगेगा।
हॉस्पिटल तक कंधे पर ले जाने पड़ते है मरीज
वहीं ग्रामीणों का कहना है कि 80 लाख खर्च करने के बाद भी सड़क सुविधा नहीं रही है। गांव निवासी बालक राम ने बताया कि सड़क सुविधा होने के कारण बिमारी के हालत में मरीजों को कंधे पर उठाकर ले जाना पड़ता है। उन्होंने बताया कि डीसी मंडी ने तहसीलदार को मौके पर जाकर आवश्यक कार्रवाई के आदेश दिए हैं और जरल की तरफ से गांव के लिए जा रही सड़क की मरम्मत के लिए पैसा देने का भरोसा दिलाया है।
